राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना । जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ ॐ ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंकाविध्वंसनाय अंजनी गर्भ संभूताय शाकिनी डाकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलिकिलि बुबुकारेण विभिषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं हौं हाँ फट् स्वाहा।। कराल बदनाय नारसिंहाय सकल भूत प्रेत https://lloydj123fzt9.blogsvirals.com/34020022/hanuman-chalisa-options